किसी ने कहा आपकी आँखे बड़ी खूबसूरत हैं..
मैने भी कह दिया…
कि बारिश के बाद,
अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है |
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
वो भुल गये की उन्हे हँसाया किसने था,
जब वो रुठते तो मनाया किसने था,
आज वो कहते है कि मे बहुत खुबसुरत हू,
शायद वो भुल गये की उन्हे ये बताया किसने था
तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँ,
तुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँ,
है मेरी दोस्ती में इतना दम,
तेरी आँख का आँसू आपनी आँख से गिरा सकता हूँ।
इज़हार मोहब्बत का कुछ ऐसे हुआ,
क्या कहें की प्यार कैसे हुआ,
उनकी एक झलक पे निसार हुए हम,
सादगी पे मर-मिटे और आँखो से इक़रार हुआ!
तूझे चाहा भी तो इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी,
और हम थे की इंकार न कर सके।
तेरे दीदार की तलब रखता था;
तुझसे प्यार की चाहत रखता था;
तुझसे इज़हार की भी सदा रखता था;
रख ना पाया तो सिर्फ़ इज़हार-ए-जुनून
मैने भी कह दिया…
कि बारिश के बाद,
अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है |
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो,
सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो,
कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू,
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।
वो भुल गये की उन्हे हँसाया किसने था,
जब वो रुठते तो मनाया किसने था,
आज वो कहते है कि मे बहुत खुबसुरत हू,
शायद वो भुल गये की उन्हे ये बताया किसने था
तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँ,
तुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँ,
है मेरी दोस्ती में इतना दम,
तेरी आँख का आँसू आपनी आँख से गिरा सकता हूँ।
इज़हार मोहब्बत का कुछ ऐसे हुआ,
क्या कहें की प्यार कैसे हुआ,
उनकी एक झलक पे निसार हुए हम,
सादगी पे मर-मिटे और आँखो से इक़रार हुआ!
तूझे चाहा भी तो इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तुने माँगा भी तो अपनी जुदाई मांगी,
और हम थे की इंकार न कर सके।
तेरे दीदार की तलब रखता था;
तुझसे प्यार की चाहत रखता था;
तुझसे इज़हार की भी सदा रखता था;
रख ना पाया तो सिर्फ़ इज़हार-ए-जुनून
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