निगाह उठे तो सुबह हो झुके तो शाम हो जाये,
एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले-आम हो जाये।
जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है,
मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है,
जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से,
हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है।
हम मिले भी तो क्या मिले
वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे कदम बढ़े
न कभी तुम्हारी झिझक गई।
सोचा याद न करके थोड़ा तड़पाऊं उनको,
किसी और का नाम लेकर जलाऊं उनको,
पर चोट लगेगी उनको तो दर्द मुझको ही होगा,
अब ये बताओ किस तरह सताऊं उनको।
लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं,
मेरी शोहरत किसी के नाम की मोहताज नहीं।
प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,
फिर ज़िन्दगी में हम को तन्नहा कर गये,
चाहत थी उनके इश्क में फ़नाह होने की,
पर वो लौट कर आने को भी मना कर गये।
चले आओ सनम बस आखिरी साँसें बची हैं कुछ,
तुम्हारी दीद हो जाती तो खुल जातीं मेरे आँखें।
वो खुद पे इतना गुरूर करते हैं,
तो इसमें हैरत की बात नहीं,
जिन्हें हम चाहते हैं,
वो आम हो ही नहीं सकते।
No comments:
Write comments