Saturday, 24 June 2017

तुझमें समा जाऊँ



जब यार मेरा हो पास मेरे, 
मैं क्यूँ न हद से गुजर जाऊँ, 
जिस्म बना लूँ उसे मैं अपना, 
या रूह मैं उसकी बन जाऊँ। 

लबों से छू लूँ जिस्म तेरा, 
साँसों में साँस जगा जाऊँ, 
तू कहे अगर इक बार मुझे, 
मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।



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